टीडीयूपीडब्यूलाइ /ए2के + के अंतर्गत कौशल सैटेलाइट केंद्र
प्रस्ताइवना
लैंगिक समानता समस्ते समाज के लिए महत्विपूर्ण है। यदि उचित अवसर तथा प्रोत्सामहन मिले, तो महिलाएं सभी क्षेत्रों में अग्रणी होने की क्षमता रखती हैं। तथापि, महिलाओं को अवसर उपलब्धस कराए जाने की आवश्यतकता है ताकि वे आत्मकविश्वा।स के साथ दुनिया का सामना करने में सशक्त हो सकें। सशक्तिकरण जागरूकता से शुरू तथा तदनुसार सक्षमता निर्माण के माध्य म से आरंभ होती है।
देशों की ग्लोधबल जैंडर गैप इंडैक्सभ की सूची 2017 में, महिलाओं की आर्थिक भागीदारी तथा अवसर के संदर्भ में भारत का 139वां रैंक है। महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण वहनीय विकास, असहाय-समर्थक संवृद्धि के लिए पूर्व-अपेक्षा है तथा यह अधिकारों और न्या यसंगत सोसाइटियों के बारे में है। मैक्न्सिे ग्लोवबल इंस्टीलट्यूट अध्यअयन के अनुसार, वर्ष 2025 तक कार्यस्थोलों में लैंगिक अंतरालों को पूर्ण रूप से भरते हुए भारत अपनी जीडीपी को 2.9 ट्रिलियन तक बढ़ा सकता है, यदि महिला कार्यबल सहभागिता दर को सुधार लिया जाए। यह 68 मिलियन अतिरिक्ता महिलाओं को फार्म रहित श्रमबल में लाने के बराबर होगा। राष्ट्रीभय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ), वर्ष 2012 में भारत में 30 लाख से अधिक बेरोजगार महिलाएं थीं। दक्षता विकास तथा उद्यमवृत्तिशीलता पर राष्ट्री2य नीति 2015, प्रशिक्षण को लैंगिक मुख्यदधारा में लाने की आवश्योकता तथा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक वाहन के रूप में कौशल विकास के परिदृश्यों का वर्णन करती है। इन अंतरालों को भरने की दृष्टि से, यह नीति क्रियाशील प्रशिक्षण इकाइयों, आवश्य कता आधारित स्थासनीय प्रशिक्षण सहित लचीले अपराह्न बैचों जैसी विशिष्टत वितरण क्रिया पद्धतियों की जरूरत की पहचान करती है।
महिला आर्थिक सशक्तिकरण, एक चुनौती
महिलाएं, जो पिछड़ गईं हैं, को प्रचलित आर्थिक विकास के लाभ आसानी से प्राप्त नहीं होते है। भारत को रोजगार क्रांति की आवश्यककता है जो आधुनिक भारतीय अर्थ-व्य वस्था में उनकी पूर्ण भूमिका के लिए महिलाओं को प्रोत्सायहित करेगी। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के पैमाणीकरण के लिए नवप्रवर्तक अभिगमों तथा सहभागियों की आवश्यककता है। महिलाएं विश्वमभर के कार्यों का 66% कार्य करती हैं तथा खाद्य सामग्री का 50% का उत्पादन करती हैं, फिर भी आय का केवल 10% ही कमा पाती हैं तथा सम्पथत्ति के 3% की स्वांमी होती हैं। चुनौती यह है कि दूरस्थ1 महिलाओं तक पहुंच बनाई जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इन महिलाओं की आर्थिक वृद्धि तथा व्याथपार के लाभों और अवसरों तक पहुंच बन सके। सैटेलाइट केंद्र महिलाओं को उनके घरों के नजदीक ही दक्ष बनाने में मदद कर सकेगें तथा अंतत: वे आर्थिक रूप से सशक्त हो जाएंगी।
कौशल सैटेलाइट केंद्र
डीएसआईआर का मुख्यट लक्ष्य् ज्ञान तथा कौशल प्रदान करते हुए महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कौशल सैटेलाइट केंद्रों की स्था पना करना है। महिलाएं तभी उन्नुति करती हैं जब उनका समुदाय घर के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्रों, दोनों, में महिलाओं के कार्यों का वास्तदव में सम्मा न करता है तथा इसलिए, डीएसआईआर की यह शुरूआत लैंगिक समानता के प्रति कार्य करने तथा विकास के सभी स्तेरों पर महिलाओं के कार्यों को दर्शाने के लिए प्रतिबद्ध है। डीएसआईआर महिलाओं के ग्रामीण/जनजातीय अथवा अन्यओ जरूरतमंद समूहों के बिल्कुबल समीप ‘’कौशल सैटेलाइट केंद्रों’’ को स्थासपित करने के लिए प्रस्ता वों को सहयोग प्रदान करेगा। जो महिलाओं के लिए, विभिन्ना अन्यं संगठनों द्वारा स्था पित, सामान्य व्याावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों से भिन्नव होंगे। कौशल प्रशिक्षण के अतिरिक्ता सैटेलाइट केंद्रों में नामांकित सभी महिलाएं एक लघु अवधि के साक्षरता पाठ्यक्रम से रूबरू होंगी। विशिष्टत तकनीकी विषयों पर प्रशिक्षण के साथ-साथ वित्तीय साक्षरता तथा उपक्रम विकास दर भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि प्रशिक्षण के पूर्ण होने के पश्चारत, वे न केवल वित्ती्य रूप से स्वसतंत्र हैं बल्कि अधिक प्रभावकारिता से सामाजिक चुनौतियों का सामना भी कर सकेंगी। इस कार्यक्रम से स्था्नीय महिलाओं को महत्व्पूर्ण रूप से अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलने की संभावना है।
3.1 कौशल सैटेलाइट केंद्रों के लाभ
- समुदाय में प्रचिलित परिवहन समस्याद की देखभाल तथा आने जाने का समय बचाना।
- सुविधाजनक शिक्षण समय क्योंमकि ग्रामीण भारत में महिलाओं के पास पढ़ने के साथ-साथ अन्यक घरेलू कार्यों की जिम्मे दारियों के लिए बहुत सीमित समय उपलब्धि होता है। डीएसआईआर सैटेलाइट केंद्र उनकी सुविधा तथा समय की उपलब्धिता के अनुसार ऐसे कार्यक्रमों में उन्हेंघ भाग लेने की अनुमति प्रदान करेगा।
- अधिक लाभार्थियों का पोषण।
- माता-पिताओं, पति-पत्निनयों, बच्चों को सुरक्षा का आश्वा।सन।
3.2 कौशल सैटेलाइट केंद्रों के उद्देश्यन
- महिलाओं को व्याावसायिक कौशल उपलब्ध् कराना जिससे महिलाओं को रोजगार प्राप्ति हो सके तथा अपनी पारिवारिक आय को बढ़ाने में समर्थ होने के साथ-साथ समाज ने अपने आत्मासम्मारन में बढ़ोतरी कर सकें।
- सक्षमताएं तथा कौशल उपलब्धा कराना जिससे महिलाएं स्व यं रोजगार/उद्यमी बनने में समर्थ हो सकें।
- महिलाओं अथवा महिलाओं के समूहों (सेल्फ हैल्पग ग्रुप मोड) को रोजगार अथवा अपनी आय सृजन कार्यक्रमों को आरंभ करने के लिए समर्थ बनाना।
- उन्हेंक नए कौशल सिखाने में मदद करना जो उनकी प्रभावकारिता तथा उत्पाेदकता को उन्नउत करेगा।
- व्यहवहार्य समूहों में महिलाओं को प्रयोग करना तथा ऋण तक पहुंच, उत्पानदक संपत्तियों के अधिग्रहण इत्यांदि जैसी सुविधाएं प्रदान करना।
3.3 कौशल सैटेलाइट केंद्रों द्वारा सहयोग
- अन्य3 उपकरणों तथा संशाधनों के माध्यदम से सुविधा संपन्नद प्रशिक्षण।
- प्रशिक्षित प्रशिक्षु जो महिला उद्यमियों को व्या पार चुनौतियों का सामना करने में मदद करेंगे।
- शैक्षिक कार्यक्रमों, वित्तो तथा विपणन तक पहुंच के लिए त्वौरित रणनीतियों, नवप्रवर्तन तथा पदचाप तकनीकों के माध्योम से सक्षमता निर्माण।
- उत्पा दकता बढ़ाने तथा कड़ी मजदूरी को घटाने के लिए प्रौद्योगिकी का कैसे प्रयोग किया जाए पर शैक्षिक कार्यक्रम।
- व्याैपार मॉडल विकसित करने के लिए अवसर।
- क्षेत्र विशिष्टॉ प्रभावन।
- नेटवर्किंग अवसर।
संभावित क्षेत्र
- कुम्हागर कर्म [टेराकोटा मृत्तिका वस्तुमओं का उत्पाोदन]
- स्वा.स्य्वस एवं साफ-सफाई [कम लागत के सैनेट्री नैपकिनों के उत्पागदन के लिए लघु इकाई]
- रेशम कीट पालन [शहतूत की खेती, कोकून पालन, रेशम धागा निकालना]
- खाद्य प्रसंस्कलरण तथा पोषण [मूल्य वर्धित कृषि उत्पाणद, पैकिट बंद खाद्य सामग्री, बेक्री सामग्री]
- कृषि प्रसंस्क रण [ऊतक संवर्धन, स्टिबविया कृषि]
- समुद्र संबंधी उत्पारद प्रसंस्करण [मछली, मोती उत्पाददन]
- हथकरघा [हस्तघ निर्मित घरेलू सज्जाा वस्तुृएं, हस्तघ निर्मित कागज इत्याादि ]
- कपड़ा [खादी, ब्लॉतक प्रिंटिंग इत्यादि]
लक्षित समूह
इस योजना का उद्देश्यत उन महिलाओं को कौशल उद्देश्योंट के लिए लाभ पहुंचाना है जो 18 वर्ष और उससे अधिक आयु समूह की है।
योग्यआ/पात्र संगठन
एक अलग वैधानिक अस्तित्वर रखने वाले निम्नोलिखित संगठनों को अनुदान दिया जाएगा:
- भारतीय ट्रस्टै अधिनियम 1982 या सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत एक पंजीकृत समिति या अन्यट अधिनियमों या विशिष्ट अधिनियम के अंतर्गत स्वा8यत्त संस्थाीनों के रूप में संस्थाधपित संस्था्न या संगठन।
- स्वैच्छिक संगठन या गैर-सरकारी संगठन जो सरकार की कल्या्ण कारी योजनाओं और कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के कार्य में लगे हुए है।
- शैक्षणिक और अन्या संस्थाकन
- शहरी और ग्रामीण स्थानीय स्व शासन संस्थासन।
- सहकारी समितियां।
संगठन को कम से कम 3 वर्ष से अस्तित्वव में होना चाहिए और रोजगार और उद्यमता से संबंधित कौशल प्रदान करने के लिए गतिविधियां चलाने का अनुभव आवश्योक रूप से होना चाहिए।
अवधि
कौशल सैटेलाइट केंद्र के लिए एक विशेष प्रस्तायव प्रारंभिक रूप से पोस्टय-ट्रेनिंग गतिविधि मूल्यांटकन के लिए निर्धारित समय सहित 36 महीने की अधिकतम अवधि के लिए तैयार किया जा सकता है। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम/मॉड्यूल सामान्य ता तीन माह की अवधि व विशेष मामलों में एक पाठ्यक्रम के लिए अधिकतम अवधि 6 माह होगी। प्रारंभिक अवधि की समाप्ति पर निरंतरता के प्रस्ता व को आउटपुट/परिणाम रिपोर्ट और आवश्यमक औचित्यर के साथ विचार के लिए प्रस्तु त किया जा सकता है।
वित्त-पोषण के मानदंड
वित्तीय सहायता निम्न-लिखित के अधीन होगी:
- प्रतिदिन 6 घंटे के प्रशिक्षण समय के साथ, यात्रा, लंच के लिए ब्रेक को छोड़कर अर्थात कम से कम 432 घंटे और 864 घंटे क्रमश: 3 और 6 माह के पाठ्यक्रम के लिए प्रति सप्ता ह 6 दिनों के लिए होनी आपेक्षित है। ध्या न व्य क्तिगत प्रशिक्षण पर होना चाहिए न कि मूल्यांिकन या प्रमाणीकरण पर। 100 से 150 महिलाओं को प्रति वर्ष प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- प्रशिक्षण के दौरान जलपान उपलब्धा कराने की लागत 75 रूपये प्रतिदिन प्रति प्रतिभागी से अधिक नहीं हो सकती।
- परियोजना लागत में शीर्ष जैसेकि लाभार्थियों का एकत्रित करना, पाठ्यक्रम तैयार करना, उपकरण, कच्चा माल और शिक्षण यंत्रों को सम्मालित किया जा सकता है। उपकरण की अधिग्रहण लागत प्रस्ता व का एक हिस्सा हो सकती है लेकिन डीएसआईआर द्वारा सहायता प्राप्तण प्रस्ता्व की लागत के 25% से अधिक नहीं हो सकती।
- उपयोग प्रमाण-पत्र और व्य य का विवरण अगले अनुदान को जारी करने के लिए प्रस्ता व करना होगा। संगठन/संस्थायन इस आशय का प्रमाण-पत्र जमा करेंगे कि व्यरय स्वी कृत अनुदान के अनुरूप किया गया है।
कौशल सैटेलाइट केंद्रों में नियोजित व्यनक्तियों को संगठन/संस्था्न का कर्मचारी माना जाएगा न कि भारत सरकार का तथा उनकी सेवा की शर्ते ऐसे व्यठक्तियों के लिए लागू संगठन के नियमों और आदेशों के अनुरूप शासित होगी। - डीएसआईआर, कौशल सैटेलाइट केंद्रों के लिए भूमि या भवनो पर किसी भी पूंजीगत व्याय का वित्तपोषण नहीं करेगा।
- कौशल सैटेलाइट केंद्र की अवधि पूरी होने पर संगठन/संस्था न अनुदान के लिए सहयाक दस्ताौवेजों जैसे फोटोग्राफ और उपयोग प्रमाण-पत्र के साथ अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुात करेंगे।
- आवेदक संगठन प्रशिक्षण के सफल समापन के बाद अपने दिए गए पाठ्यक्रम पर प्रशिक्षुओं को प्रमाण-पत्र जारी करेंगे।
- आवेदक संगठन दिशानिर्देशों के अनुसार आवश्यदक दस्तापवेजों के साथ निर्धारित आवेदन प्रारूप में प्रस्ताठव प्रस्तु त करेंगे।
- डीएसआईआर द्वारा जारी अनुदान की शेष राशि को डीएसआईआर को वापिस करनी होगी।
- लक्ष्यों डिलीवरेबल्स से संबंधित संगठन में असंतोषजनक निष्पाथदन/ गैर-निष्पतदन से डीएसआईआर को अर्जित ब्यारज सहित जारी अनुदान सहायता की वापसी करनी होगी।
- डीएसआईआर का कौशल सैटेलाइट केंद्र को समाप्ता करने का अधिकार सुरक्षित है। यदि यह पाया जाता है कि इसका कार्यान्वदयन असंतोषजनक या अनुपयुक्तु है।
आवेदक संगठन द्वारा प्रस्तुोत की जाने वाली रिपोर्टें
कौशल सैटेलाइट केंद्र के लिए परियोजना प्रस्तातव प्रस्तुुत करते समय आवेदन करने वाले संगठन को आवेदन के साथ निम्निलिखित रिपोर्टें प्रस्तुकत करे:
- उस क्षेत्र की आधारभूत सर्वेक्षण रिपोर्ट जहां कौशल सैटेलाइट केंद्र को स्थावपित किया जाना है।
- कौशल सैटेलाइट केंद्र का लागत लाभ विश्लेाषण।
- लक्षित महिला समूह जो कौशल सैटेलाइट केंद्र से लाभान्वित होंगे।
- कौशल प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम का विवरण।
- संभावित व्याषपार उद्यम जिन्हेंण कौशल सैटेलाइट केंद्र बढ़ावा देंगे।
- कौशल सैटेलाइट केंद्र को वहनीय बनाने के लिए संभावित व्याटपार मॉडल।
- कौशल सैटेलाइट केंद्र के लिए एक निर्धारित जगह दर्शाता हुआ लेआउट मैप उपलब्धं कराए।
दिशा निर्देश और आवेदन का प्रारूप
नया कौशल सैटेलाइट केंद्र के दिशा निर्देशों और आवेदन प्रारूप के लिए यहॉं क्लिक करें, (फाइल का आकार: 481 केबी) । [03/12/2018]
किसी अन्यी विवरण के लिए आप सम्पदर्क कर सकते हैं:
डॉं. सुजाता चकलानोबिस
वैज्ञानिक ‘एफ’
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग
टेक्नोनलॉजी भवन, नया महरौली मार्ग नई दिल्ली – 110016
दूरभाष: (011) 26590277
टेलीफैक्स: (011) 26520887
ई-मेल: priya[at]nic[dot]in