सामरिक योजना
हितधारकों के परामर्श
भारत सरकार के सभी विभागों को केन्द्रीय सचिवालय द्वारा अगले पांच वर्षों के लिए अपने-अपने विभागों की सामरिक योजना तैयार करने के निदेश दिए गए हैं। हितधारकों के परामर्श इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है ताकि हितधारकों की प्रत्याशाओं को विभागीय रणनीति के साथ जोड़ा जा सके।
डीएसआईआर में रणनीति निर्माण प्रक्रिया आरम्भ हो गई है। सामूहिक आंतरिक परामर्श ने विभागीय महत्वाकांक्षा को बढ़ावा दिया है अर्थात भारत को विश्व में एक अग्रणी नवप्रवर्तक देश बनाने में समर्थ करने के लिए । जबकि इस महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए उद्देशों/लक्ष्यों तथा रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, डीएसआईआर उद्योग के साथ आपसी बातचीत करना पंसद करेगा।
इसके अतिरिक्त, सभी विभागों का नागरिक/ग्राहक चार्टर है जिसे उनकी सरकारी वैबसाईट पर दर्शाया गया है। इन चार्टरों में उनके नागरिकों/ग्राहकों के लिए विभिन्न विभागों द्वारा प्रदत्त सेवाओं की सूची दी गई है। केन्द्रीय सचिवालय तथा प्रशासनिक सुधार एवं लोक लोक शिकायत विभाग के निर्देशों के अनुसार, इन चार्टरों को – सर्वोत्तम आज्ञापालक बनाना अपेक्षित है, अथवा नागरिकों/ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता सेवाएं वितरित किया जाना सुनिश्चित करना है। उन्नत सेवा गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, सही दिशा सूचकों की पहचान करने के साथ-साथ मानकों जिनका उच्च गुणवत्ता सेवा वितरित करने के लिए रख-रखाव किया जाना चाहिए, के लिए हितधारक परामर्श किया जाना आवश्यक है। दिशा सूचकों का उदाहरण समय की प्रतीक्षा (उदाहरणार्थ बिजली की उपलब्धता के घंटे) हो सकते हैं। सेवा मानकों को आमतौर पर सेवा प्रापक की प्रत्याशाओं को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय/विभाग की संसाधन स्थिति, तथा मंत्रालय/विभाग की किसी अनूठी विशेषता जो सेवा मानकों पर प्रभाव डाल सकती है, के पश्चात स्थापित किया जाएगा।
डीएसआईआर उक्त वर्णित दो मुद्दों पर उनके मूल्यवान विचारों को प्राप्त करने के लिए उद्योग के साथ विचार-विमर्श करना पंसद करेगा; क्योंकि उद्योग डीएसआईआर के अत्यंत महत्वपूर्ण हितधारक हैं। कृपया अपने विचार ashwani[at]nic[dot]in पर भेजें।
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